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Equity के बारे में पूरी जानकारी – What is Equity Share Market in Hindi

What is Equity Share Market in Hindi

Equity Share :- हेलो दोस्तों में पिंकी यादव आज के अपने इस आर्टिकल में आप सभी का हार्दिक स्वागत करती हूँ। आज का मेरा यह टॉपिक Equity Share के बारे में है। तो चलिए जानते हैं, Equity Share किया है? और उसके बारे में पूरी जानकारी। तो चलिए शुरुआत करते हैं….

What is Equity Share Market in Hindi
What is Equity Share Market in Hindi

Equity Share के बारे में पूरी जानकारी

जब भी आप टीवी या किसी अखबार में शेयर बाजार को लेकर खबरें पड़े या सुने होंगे, तो आपने Equity शब्द के बारे में जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आपको यह पता है कि Equity की Share बाजार में क्या भूमिका है? तो चलिए जानते हैं Equity क्या होता है?

कभी भी कोई किसी कंपनी के Share खरीदने की बात करता है, तो संभवत वहां Equity Share के बारे में ही बात हो रही है। सीधा और सरल शब्दों में कहें तोEquity को Share का ही एक प्रकार कहा जाता है।

इस प्रकार, यदि आप शेयर बाजार में निवेश करने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो Equity को समझना बहुत ही ज्यादा जरूरी हो जाता है। इस विश्र्लेषण में, Equity के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई है। इसमें इक्विटी शेयर, इक्विटी डिलीवरी, इक्विटी और शेयर के बीच अंतर, इसके फायदे, उदाहरण और इसके प्रकार सहित सभी विषयों के बारे में बताया गया है।

Equity Share क्या होती है?

Equity एक कंपनी के मालिक के द्वारा निवेश या Ownership वाली पूंजी की राशि है। Equity का मूल्यांकन किसी कंपनी की Balance sheet पर दर्ज देनदारियों और परिसंपत्तियों के बीच के अंतर से किया जाता है। Equity की योग्यता वर्तमान शेयर मूल्य या मूल्यांकन पेशेवरों या निवेशकों द्वारा विनियमित मूल्य पर आधारित है। इस खाते को मालिक, शेयरधारक या शेयरधारको की Equity के रूप में जाना जाता है।

Equity Formula:-

The accounting equation is asset – liabilities = Equity

Equity के प्रकार क्या है:

इक्विटी के दो प्रकार है

  1. पुस्तक मूल्य
  2. बाजार मूल्य
  1. पुस्तक मूल्य:

लेखांकन में, इक्विटी को अपने पुस्तक मूल्य में सूचीबद्ध किया जाता है और वित्तीय विवरण रिकॉर्ड और बैलेंस शीट समीकरण के द्वारा गणना की जाती है। बुक वैल्यू का मूल्यांकन करने के लिए उपयोग किया जाने वाला समीकरण इक्विटी = एसेट्स देयताएं है। हालाँकि, परिसंपत्तियों कंपनी की सभी गैर-वर्तमान और वर्तमान परिसंपत्तियों का योग है। मुख्य खाता परिसंपत्तियों में शामिल आन्य विवरण अचल संपत्ति संपत्ति, संपत्ति संयंत्र , इन्वेंटरी, प्राप्य खाते, नकदी, अमूर्त सम्पति,आदि है।

इसी तरह देनदारियां बैलेंस शीट पर वर्तमान और गैर-वर्तमान देनदारियों के योग्य है। अन्य खाते अल्पकालिक ऋण ,ऋण,आस्थगित राजस्व, देय खाते, दीर्घकालिक ऋण, निश्चित वित्तीय प्रतिबद्धता और पूंजीगत पट्टे हैं।

  1. बाजारी मूल्य:

वित्त में, इक्विटी को बाजार मूल्य के रूप में इंगित किया जाता है, जो कि पुस्तक मूल्य से काफी ज्यादा कम या अधिक हो सकता है। इसका अंतर इसलिए है क्योंकि लेखांकन कथन पिछले को देख रहा है, जबकि वित्तीय विवरण आगे देख रहा है और अनुमान लगा रहा है की किसी कंपनी की वित्तीय स्तिथि क्या है।

सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाले कंपनी के लिए, उसकी इक्विटी के बाजार मूल्य की गणना मार्केट वैल्यू = शेयर मूल्य एक्स शेयर बकाया के रूप में की जाती है। जबकि, एक निजी कंपनी के लिए बाजार मूल्य का विश्र्लेषण करने के लिए एक निवेश बैंकर, बुटीक वैल्यूएशन फॉर्म या अकॉउन्टिंग फॉर्म को काम पर रखा जाता है।

इक्विटी दो चीजों से बनती है:

किसी भी कंपनी की इक्विटी दो चीजों से ही बनता है।

  • Share Capital
  • Reserves and Surplus
  1. Share Capital :

Share Capital वो पैसा है, जो कंपनी के Share उसकी Face Value पर बेचकर जुटाए जाते हैं। जब भी कोई कंपनी को बनाए जाते है, तब कंपनी के 1 शेयर की कीमत जो तय होती है, उसे हम Face Value कहते हैं। इसके ऊपर के शेयर की कीमत को Premium कहा जाता है।

  1. Reserves and Surplus :

Reserves and Surplus वह पैसा है, जो कंपनी मुनाफा कमाकर इकट्ठा करती है। जैसे कि अगर कंपनी ने सभी खर्च निकाल के इस साल 10 करोड़ रूपए कमाए हैं, तो इस पैसे को कंपनी के Reserves and Surplus में रखा जाता है। जिससे कंपनी खुद अपने व्यापार में निवेश करके कंपनी को आगे बढ़ा सकती है। कई बार इस पैसो में से कुछ पैसों का उपयोग कंपनी अपने शेयरधारक को Dividend देने के में भी करती है। इन दोनों चीजों को मिलाकर के कंपनी की Equity बनती है।

Share के कितने प्रकार होते हैं:

भारत के मुख्य रूप से 3 तरह के शेयर होते हैं:

  1. इक्विटी शेयर (Equity Share)
  2. परेफरेंस शेयर (Preference Share)
  3. डीवीआर शेयर (DVR Share)
  1. Equity Share क्या है?

इक्विटी शेयर को ऑर्डिनरी शेयर के नाम से भी जाना जाता है। इक्विटी शेयर को शार्ट में शेयर भी कहा जाता है, इसका मतलब यह होता है कि अगर किसी शेयर के आगे पीछे कुछ नहीं लिखा है-सिर्फ” शेयर” लिखा है, तो वह इक्विटी शेयर ही माना जाएगा।

इसके अलावा इक्विटी शेयर जिनके पास होता है, उन्हें कंपनी का असली मालिक कहा जाता है। इक्विटी शेयर जिनके पास होता है उन्हें इक्विटी शेयर होल्डर कहा जाता है।

Equity Shareholder कंपनी के मालिक क्यों होते हैं?

Equity Shareholder को कंपनी का असली मालिक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि Equity Shareholder के पास कंपनी के किये जाने वाले मैनेजमेंट के फैसले में वोट देने का अधिकार होता है। इस तरह Equity Shareholder कंपनी के कार्यों पर कंट्रोल होता है, साथ ही Equity Shareholder को सबसे अंत में बचे हुए लाभ में से Dividened के रूप में हिस्सा दिया जाता है। अगर कंपनी के पास प्रॉफिट का पैसा नहीं रहता है, तो Equity Shareholder को कोई लाभ नहीं मिलता है।

हां यह भी जरूरी है- कि अगर कंपनी ज्यादा लाभ कमा रही है, तो Equity Shareholder को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिलने की संभावना हो जाती है। इस तरह Equity Shareholder , अपनी पूंजी पर सबसे ज्यादा रिस्क लेते हैं, क्योंकि अगर कभी कंपनी बंद भी हो जाती है, तो Equity Shareholder को सबसे अंत में पूंजी वापस मिलता है, और इसीलिए इनको कंपनी का असली मालिक भी कहा जाता है।

  1. Preference Share :

आप देखेंगे कि Preference Share में सबसे पहला शब्द Preference का होता है। जिससे यह स्पष्ट होता है, कि Preference Share को कुछ विशेष अधिकार पहले से निश्चित होते हैं। जैसे कि Preference Share के केस में Preference Shareholder को हर साल कितना प्रॉफिट दिया जाएगा, यह सबसे पहले से ही तय होता है। और दूसरे Preference Shareholder को वोट देने का अधिकार नहीं होता है, यह सबसे बड़ा फर्क होता है।

Equity और Preference Share में ध्यान देने वाली बात है, कि Preference Share में कई अलग-अलग प्रकार होते हैं।

लेकिन मुख्य प्रकार यह है कि- आज के समय में Preference Share के बजाये कोई भी कंपनी Equity Share निर्गमित करने में ज्यादा रुचि रखती है।

  1. DVR Share :

DVR शेयर का फुल फॉर्म (Shares with Differential Voting Rights ) है।

इस तरह से ही Equity Share और Preference Share दोनों का मिला जुला रूप है। इसमें DVR Shareholder को Equity Shareholder की तरह से पूरी तरह वोटिंग का अधिकार नहीं होता है। केवल उनको कुछ प्रतिशत का ही अधिकार होता है।

लेकिन DVR Shareholder को ज्यादा लाभांश मिलता है। फिलहाल भारत में तो कंपनी ने DVR Share जारी किया है। पहला TATA MOTORS और दूसरा JAIN इरिगेशन

दोस्तों आशा करती हूँ, कि आपको आज का मेरा यह आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा। अगर आपको आज का मेरा यह आर्टिकल पसंद आया है, तो प्लीज इसे लाइक और शेयर जरूर करें।

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